Parliament Bills Update; One Nation One Election Jammu Kashmir | Constitutional Amendment: केंद्र सरकार सोमवार को एक देश-एक चुनाव से जुड़े 2 विधेयक लोकसभा में पेश करेगी। इस विधेयक को 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी भी दे दी है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जन राम मेघवाल एक देश-एक चुनाव के लिए 129वां संविधान संशोधन विधेयक पेश करेंगे।
कोविंद समिति ने संविधान के अनुच्छेद 82 में संशोधन की सिफारिश की है। इसमें अनुच्छेद 82 (ए) जोड़कर लोकसभा और विधानसभाओं का कार्यकाल एक साथ खत्म करने का प्रावधान किया जाएगा। सरकार विधेयक पर आम सहमति बनाना चाहती है, इसलिए विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजे जाने की संभावना है।
इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े 3 कानूनों में भी संशोधन किए जाएंगे। इनमें केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम-1963, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार-1991 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 शामिल हैं। इस दौरान जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए संशोधन भी किए जा सकते हैं।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने सौंपी रिपोर्ट…
एक देश-एक चुनाव पर विचार करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर, 2023 को एक समिति का गठन किया गया था। समिति ने करीब 191 दिनों में हितधारकों और विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के बाद 14 मार्च, 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
कोविंद समिति की 5 सिफारिशें…
- सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाना चाहिए।
- त्रिशंकु विधानसभा (किसी के पास बहुमत नहीं होने), अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में, शेष कार्यकाल के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं।
- पहले चरण में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय (नगर निगम) चुनाव कराए जा सकते हैं।
- चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एक ही मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करेगा।
- कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरण, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की अग्रिम योजना बनाने की सिफारिश की है।
क्या है एक देश-एक चुनाव…
भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। एक देश-एक चुनाव का मतलब है लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराना। यानी मतदाता एक ही दिन, एक ही समय पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए मतदान करेंगे।
आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग हो गईं। इसके बाद दिसंबर 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इससे एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।