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मंत्री जी…आपके गृहक्षेत्र से उठीं 7 अर्थियां ! पंडो जनजाति के लोगों ने तोड़ा दम, समाज बोला- स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही, कैसे बचेगी हमारी जान ?

सरगुजा। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में 14 दिनों में पंडो जनजाति के 7 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में 3 महिलाएं, 2 पुरुष और 2 बच्चे शामिल हैं। बताया जा रहा है कि खून की कमी, बुखार और प्रसव के दौरान इनकी मौत हुई है। यह इलाका ​​​​आदिवासी विकास मंत्री राम विचार नेताम का गृह क्षेत्र है।

आदिवासियों की मौत पर सर्व विशेष पिछड़ी जनजाति समाज कल्याण समिति ने सरगुजा कमिश्नर जीआर चुरेंद्र और स्वास्थ्य संयुक्त संचालक अनिल शुक्ला को पत्र लिखा है। आरोप लगाया गया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लोगों की मौत हो रही है।

समिति अध्यक्ष ने कहा- कागजों पर चल रही हैं योजनाएं

सर्व विशेष पिछड़ी जनजाति समाज कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष उदय पंडो ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरती गई है, जिसके कारण लोगों की जान गई है। रामचंद्रपुर ब्लॉक में पंडो समुदाय के लोगों की असामयिक मौत से समाज चिंतित है।

सर्व पंडो समाज के अध्यक्ष उदय पंडो ने 7 मौतों की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि मौतें अलग-अलग कारणों से हुई हैं। उदय पंडो ने आरोप लगाया है कि प्रसव के दौरान हुई मौतों के मामले में इलाज में लापरवाही बरती गई है। खून की कमी से मौत होना चिंताजनक है।

मुख्यमंत्री की 11 सूत्रीय योजनाएं कागजों पर चल रही हैं। उदय कुमार पंडो ने कहा कि पंडो समुदाय के लोगों के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं के बावजूद विशेष संरक्षित जनजाति के लोगों की मौत दुखद है।

हमने संभाग और जिला स्तर के अधिकारियों को लिखित में शिकायत की है। हमने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है। शिकायत मिली है, जांच की जा रही है।

संयुक्त संचालक स्वास्थ्य डॉ. अनिल शुक्ला ने कहा कि ज्ञापन मिला है। इसका परीक्षण किया जा रहा है। बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए जा चुके हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

कलेक्टर ने कहा- लापरवाही मिली तो कार्रवाई होगी

बलरामपुर कलेक्टर आर एक्का ने कहा कि जिला प्रशासन ने पंडो जनजाति के सदस्यों की मौत के कारणों की जांच शुरू कर दी है। मामले की जांच एसडीएम, तहसीलदार और सीएमएचओ द्वारा की जा रही है।

उन्होंने कहा कि संभागीय मुख्यालय के अस्पताल में भी कुछ मौतें हुई हैं, जिसकी जानकारी प्रशासन से मांगी गई है। अगर किसी की लापरवाही पाई जाती है तो कार्रवाई की जाएगी।

पंडो जनजाति के 7 मौतों की कहानी

24 अगस्त- रामचंद्रपुर के तालकेश्वरपुर निवासी किसमतिया पंडो (32) गर्भवती थी। ऑपरेशन के बाद जच्चा-बच्चा दोनों की 24 अगस्त को मौत हो गई।

31 अगस्त- ग्राम धौली की कलावती पंडो (38) को प्रसव पीड़ा पर अस्पताल लेकर गए। वाड्रफनगर अस्पताल में 4 घंटे तक रखा। गंभीर स्थिति में रेफर किया। यहां भी जच्चा-बच्चा की मौत हो गई।

4 सितंबर- पीपरपान निवासी फुलकुंवर पंडो (50) (टीबी) से पीड़ित थी। सांस में तकलीफ और खून की कमी से घर पर ही मौत हो गई।

6 सितंबर- टाटापाथर निवासी रामबसावन पंडो (50) भी टीबी और खून की कमी से पीड़ित था। सांस में तकलीफ और खून की कमी से घर पर ही मौत हो गई।

6 सितंबर- ओरंगा निवासी सुरेंद्र पंडो (23) की मौत खून की कमी से मौत हुई है। एनीमिया से पीड़ित था। घर में ही युवक ने दम तोड़ा।

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