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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की ‘बुलडोजर’ पर रोक: प्रशासन ने हत्यारोपी का मकान तोड़ने दिया था आदेश, बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट भी है खफा

Mason Murder Case In Chhattisgarh bulldozer Action Banned: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में राजमिस्त्री की हत्या के आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने दस्तावेज पेश करने के लिए 3 दिन का समय कम माना है। प्रशासन को इसके लिए 15 दिन का समय देने के निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की सिंगल बेंच में हुई।

सुप्रीम कोर्ट भी बुलडोजर एक्शन से है खफा

इसी तरह एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (12 सितंबर) को कहा था कि बुलडोजर की कार्रवाई देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है। किसी के अपराध में शामिल होने का आरोप उसकी संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने गुजरात सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।

जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने एक मकान को ध्वस्त करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। सितंबर में यह दूसरा मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है। इससे पहले 2 सितंबर को कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई व्यक्ति किसी मामले में दोषी भी है तो भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती।

3 दिन में अनुमति न देने पर बुलडोजर चलाने के आदेश पर रोक

दरअसल, राजमिस्त्री का शव सीतापुर नगर पंचायत क्षेत्र स्थित पानी की टंकी में मिला था। इसके बाद सीएमओ ने फरार मुख्य आरोपी अभिषेक पांडेय के घर पर 11 सितंबर को नोटिस चिपका दिया। इसमें भवन निर्माण की अनुमति प्रस्तुत करने को कहा गया। साथ ही 3 दिन में अनुमति न देने पर बुलडोजर चलाने के आदेश दिए गए।

कार्रवाई रोकने के लिए परिजनों ने दायर की याचिका

सीएमओ के आदेश के खिलाफ आरोपी के परिजन अर्जेंट हियरिंग के तहत सुनवाई के लिए हाईकोर्ट पहुंचे। याचिका में कहा गया कि निर्माण अनुमति जारी करने वाले अधिकारी ने नोटिस जारी किया है, जबकि उन्होंने खुद भवन निर्माण की अनुमति दी है।

योजनाबद्ध तरीके से मात्र 3 दिन का समय दिया गया। यह नोटिस सद्भावनापूर्ण तरीके से जारी नहीं किया गया है। मामले में अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।

प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने सीएमओ के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही याचिकाकर्ता को लाइसेंस की प्रति और नोटिस का जवाब सीएमओ नगर पंचायत सीतापुर के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन का समय दिया है।

तीन महीने से लापता था राज मिस्त्री

सीतापुर क्षेत्र से तीन महीने पहले लापता हुए आदिवासी राज मिस्त्री की हत्या कर दी गई। इसके बाद उसके शव को मैनपाट के ग्राम लुरेना में सौर ऊर्जा से चलने वाली पानी की टंकी के नीचे दफना दिया गया। आरोप है कि ठेकेदार अभिषेक पांडेय ने अपने साथियों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया है।

जांच के दौरान पुलिस ने पानी की टंकी के निर्माण को हटाकर खुदाई मशीन की मदद से नींव का हिस्सा खोदा, तब शव बरामद हुआ। शव का ऊपरी हिस्सा सड़ चुका था। सिर्फ कपड़े और कंकाल बरामद हुआ। पुलिस ने इस हत्याकांड में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, ठेकेदार अभिषेक पांडेय और उसके साथी उलकिया गांव में हाईस्कूल भवन का निर्माण करा रहे हैं। निर्माण स्थल से 3 महीने पहले छड़, सीमेंट और निर्माण सामग्री चोरी हो गई थी।

7 जून को ठेकेदार और उसके साथी संदीप को उठाकर कार में ले गए। तब से संदीप लकड़ा वापस नहीं लौटा। 16 जून को गुमशुदगी की रिपोर्ट के बाद पुलिस संदीप की तलाश में जुटी थी।

लापता होने से लेकर शव मिलने तक की घटनाओं का क्रम

  • 07 जून- संदीप लकड़ा काम पर गया और वापस नहीं लौटा
  • 08 जून- ठेकेदार ने संदीप और उसके साथी के खिलाफ छड़ और सामग्री चोरी करने की एफआईआर दर्ज कराई।
  • 14 जून- परिजनों को जानकारी मिली कि ठेकेदार और उसके साथी संदीप को ले गए हैं।
  • 16 जून- संदीप की पत्नी ने सीतापुर में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
  • 21 जुलाई- सर्व आदिवासी समाज ने थाने का घेराव किया। ठेकेदार और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
  • 05 अगस्त- ठेकेदार के साथियों ने संदीप की हत्या करना स्वीकार किया।
  • 06 अगस्त- मैनपाट के लुरेना में पानी टंकी तोड़ने के बाद नींव से शव बरामद किया गया।

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