Jammu Kashmir Politics; Omar Abdullah Manoj Sinha Power Sharing: जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि कांग्रेस को ईवीएम पर रोना बंद कर देना चाहिए। जब आप चुनाव जीतते हैं तो जश्न मनाते हैं, जब हारते हैं तो ईवीएम पर सवाल उठाते हैं। यह सही नहीं है। पार्टियों को चुनाव लड़ने से पहले तय कर लेना चाहिए कि उन्हें ईवीएम पर भरोसा है या नहीं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में अब्दुल्ला ने कहा, ‘जब आप ईवीएम के जरिए 100 से ज्यादा सांसद चुनते हैं तो आप इसे अपनी पार्टी की जीत कहते हैं। दूसरे चुनाव में अगर नतीजा आपके पक्ष में नहीं आता तो आप इसे गलत कहते हैं। यह सही नहीं है।’ अगर किसी पार्टी को ईवीएम पर भरोसा नहीं है तो उसे चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।
इंटरव्यू में उमर ने केंद्र सरकार से किए अपने वादे को निभाने की बात कही। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था।
इस दौरान इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था। उमर ने कहा- एलजी के साथ सत्ता साझा करना एक कड़वा और विवादास्पद अनुभव है
उमर ने दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां की सरकार लेफ्टिनेंट गवर्नर के साथ सत्ता साझा करती है। यह एक कड़वा और विवादास्पद अनुभव है। दिल्ली एक छोटा राज्य है, जबकि जम्मू-कश्मीर चीन और पाकिस्तान की सीमा से लगा एक बड़ा और रणनीतिक क्षेत्र है।
उन्होंने कहा- पिछले दो महीनों में जब से मैं सीएम हूं, मुझे अभी तक एक भी ऐसा उदाहरण नहीं मिला है, जहां जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश होने का कोई फायदा मिला हो। ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है, जहां केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण शासन या विकास का काम जम्मू-कश्मीर को दिया गया हो।
अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के कारण ही हो पाए हैं। यह हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे के सवाल पर इतना अस्पष्ट फैसला दिया।
अब्दुल्ला ने माना कि अगर जम्मू-कश्मीर हाइब्रिड राज्य बना रहता है, तो उनके पास बैकअप प्लान है। उन्होंने कहा कि अगर मेरे पास बैकअप प्लान नहीं है, तो यह मूर्खता होगी।
केंद्र के वादे पर वोट देने निकले लोग
उमर ने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लोगों से राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। इसी के चलते लोग वोट देने निकले। चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से बार-बार कहा गया कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, लेकिन आपने (केंद्र सरकार) यह नहीं कहा कि भाजपा की सरकार बनने पर राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा या फिर मुख्यमंत्री जम्मू से होगा तो राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। मुझे लगता है कि यह वादा पूरा होगा।
राज्य का दर्जा देने का फैसला प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को लेना है
अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का अंतिम फैसला सिर्फ दो लोगों प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को लेना है। उन्हें तय करना है कि यह किया जाना चाहिए या नहीं और कब किया जाना चाहिए। या तो इसे करना होगा या इसे अनिवार्य बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पुलिस, सुरक्षा और कानून व्यवस्था संभालते हैं, जबकि अन्य प्रशासनिक जिम्मेदारियां निर्वाचित सरकार के पास होती हैं।