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IPS जीपी सिंह की बहाली का अब रास्ता साफ: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की केंद्र सरकार की याचिका; कैट के आदेश को दी थी चुनौती

IPS GP Singh reinstatement Supreme Court CAT Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित बर्खास्त आईपीएस जीपी सिंह की बहाली का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कैट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। इससे पहले हाई कोर्ट आय से अधिक संपत्ति, देशद्रोह और ब्लैकमेलिंग मामले को राजनीति से प्रेरित मानते हुए खारिज कर चुका है। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत दी है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश राय और एसबीएन भाटी की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई, जिसमें जीपी सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पैरवी की। वहीं, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अधिवक्ता हिमांशु पांडे ने उनकी पैरवी की और पूरे मामले की जानकारी दी।

कैट के आदेश को फिर दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती

कैट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने उन्हें बहाल करने की सिफारिश केंद्र सरकार से की, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें बहाल करने की बजाय कैट के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी।

हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब इस पर फैसला आने के बाद जीपी सिंह की बहाली का रास्ता साफ हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश राय और एसबीएन भाटी की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। जीपी सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पैरवी की। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अधिवक्ता हिमांशु पांडे ने उनकी सहायता की।

संपत्ति, देशद्रोह और ब्लैकमेलिंग के तीन अलग-अलग मामले

दरअसल, आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, देशद्रोह और ब्लैकमेलिंग के तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और लंबे समय तक जेल में भी रहना पड़ा था, जिस पर केंद्र सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।

वहीं, जीपी सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की खंडपीठ ने उनके खिलाफ दर्ज तीनों एफआईआर को रद्द कर दिया है।

उन्हें परेशान करने के लिए झूठे मामले दर्ज किए गए और उन्हें फंसाया गया

हाईकोर्ट ने कहा था कि उन्हें इस तरह से परेशान करने के लिए झूठे मामले दर्ज किए गए। किसी भी मामले में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। इस आधार पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी और बताया कि अब उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है। ऐसे में उनकी बर्खास्तगी का आदेश भी रद्द किया जाना चाहिए।

हाईकोर्ट ने कहा था- राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया

आईपीएस जीपी सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को चुनौती दी थी। उन्होंने अधिवक्ता हिमांशु पांडे के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि तत्कालीन सरकार ने उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया है।

इनमें किसी में भी सबूत नहीं है। इस दौरान हाईकोर्ट ने माना कि उन्हें परेशान करने के लिए बिना सबूत के एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें एक भी मामला चलाने लायक नहीं है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने तीनों एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया है।

सरकार गिराने का था आरोप

छत्तीसगढ़ के 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ एसीबी ने 2021 में कार्रवाई की थी। सरकारी आवास समेत कई जगहों पर छापेमारी की गई और 10 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति और कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद करने का दावा किया गया।

इसके बाद जीपी सिंह के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया, जिसमें उन पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया। जुलाई 2021 में उन्हें निलंबित कर दिया गया और कुछ दिनों बाद देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया।

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