Chhattisgarh Child Kidnapping Murder Case; Mother Lover | Raipur News: रायपुर के उरला इलाके में ढाई साल पहले 4 साल के बच्चे का अपहरण कर जिंदा जलाने के दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है। पंचराम मासूम की मां से एकतरफा प्यार करता था, लेकिन हर्ष की मां उससे बात तक नहीं करती थी। उसने महिला को सबक सिखाने के लिए यह अपराध किया। रायपुर में 46 साल बाद किसी को फांसी की सजा सुनाई गई है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोग समाज में रहने लायक नहीं हैं। इस दौरान हत्यारा झूठ बोलता रहा, पंचराम ने हर्ष के बड़े भाई को जलाकर मारने की साजिश रची थी। वह दोनों को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जा रहा था, लेकिन बड़े भाई ने जाने से मना कर दिया, जिससे उसकी जान बच गई।
हत्यारा दोनों हाथ बांधकर सुन रहा था जज का आदेश
जब रायपुर जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट रूम में हत्यारे को सजा सुना रहे थे, तब पंचराम हाथ बांधकर जज का आदेश सुन रहा था। जब वह कोर्ट आया तो उसके पैरों में चप्पल थी, लेकिन फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद पंचराम गेंदे ने अपनी चप्पल कोर्ट रूम के बाहर ही छोड़ दी।
मैं हर्ष के साथ नाश्ता करने गया था- पंचराम
जब फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद दोषी पंचराम गेंदे से बात की गई तो वह झूठ बोलता रहा। उसने कहा कि मैंने कुछ नहीं किया है। पुलिस ने मुझे पकड़कर जेल में डाल दिया है। हर्ष मेरे साथ नाश्ता करने गया था, बस। उसे पीटते हुए किसी ने नहीं देखा, इसका कोई सबूत नहीं है।
मैं नहीं बता सकता कि बच्चे की हत्या किसने की। बच्चे का शव भूमौरी से बरामद हुआ। जब दोषी से पूछा गया कि वह झूठ क्यों बोल रहा है तो उसने कहा कि मैं उस समय नागपुर में था।
बड़े भाई की गवाही अहम रही
सजा सुनाए जाने के बाद उसे पुलिस वारंट पर रायपुर सेंट्रल जेल ले जाया गया। मामले की सुनवाई ढाई साल तक चली और 19 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। मामले में हर्ष के बड़े भाई दिव्यांश का बयान सबसे अहम रहा।
पीड़ित पक्ष के वकील ने बताया कि 2 महीने पहले कोर्ट रूम में बड़े भाई का बयान दर्ज हुआ था. जब यह बयान लिया जा रहा था, तब आरोपी पंचराम को कोर्ट में लाया गया. पंचराम को देखकर बच्चा डर गया और चुप हो गया.
जज ने दिव्यांश से पूछा कि क्या वह पंचराम से डरता है, तो उसने सिर हिलाकर हां कहा. बच्चे को डरा हुआ देखकर उसे आराम करने के लिए आधे घंटे तक कोर्ट रूम में बाहर रखा गया. बाद में दिव्यांश ने जज को सारी बात बताई.
माता-पिता बोले- ऐसे राक्षस को फांसी होनी चाहिए
कोर्ट द्वारा दोषी को सजा सुनाए जाने के बाद हर्ष के पिता जयेंद्र ने कहा कि आज हमें न्याय मिला है. पिता ने कहा कि ऐसे राक्षस को फांसी होनी चाहिए थी. वहीं, जब हर्ष की मां से बात की गई तो वह रोने लगी और अपने बेटे का नाम पुकारने लगी.
ये है पूरा मामला
5 अप्रैल 2022 की सुबह उरला इलाके से हर्ष नाम के 4 साल के बच्चे का अपहरण हुआ था. पड़ोस में रहने वाले पंचराम ने उसका अपहरण किया था. बच्चे के पिता जयेंद्र उरला इलाके में पूर्व पार्षद अशोक बघेल के मकान में किराए पर रहते हैं। आरोपी पंचराम भी यहीं किराएदार था।
वह अपनी मां के साथ यहां अकेला रहता था। कुछ साल पहले उसकी पत्नी उसे छोड़कर भाग गई थी। पंचराम की जयेंद्र के बच्चों से दोस्ती थी। वह अक्सर मासूम हर्ष को अपनी बाइक पर घुमाने ले जाता था। इसी भरोसे के चलते जब पंचराम हर्ष को लेकर गया तो किसी ने उसे नहीं रोका।
बेमेतरा के श्मशान घाट में जिंदा जला दिया
देर शाम तक जब बच्चा और पंचराम वापस नहीं लौटे तो मामला थाने पहुंचा। हर्ष की तलाश करते हुए पुलिस को उसका जला हुआ शव मिला। पंचराम उसे बेमेतरा ले गया था और श्मशान घाट में जिंदा जला दिया था।
हर्ष को ले जाने के बाद पंचराम ने दूसरे फोन नंबर से उसकी मां को फोन किया। उस नंबर पर फोन किया गया तो पता चला कि पंचराम ने अपनी बाइक भिलाई में एक व्यक्ति को 15 हजार में बेच दी है।
वह नंबर उसी ऑटो डीलर का था। परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी और फिर पुलिस ने नागपुर से पंचराम को पकड़ लिया। पूछताछ में बच्चे की हत्या और मां से प्रेम की बात सामने आई।
ढाई साल में सुनाई गई सजा
घटना के ढाई साल के भीतर कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। इससे पहले 25 अक्टूबर 1978 को रायपुर सेंट्रल जेल में पहली बार बैजू नाम के कैदी को फांसी दी गई थी। बैजू पर 2 हजार रुपए के लिए चार लोगों की हत्या का आरोप था।