Bahraich Violence Situation LIVE Video Update Yogi Adityanath Akhilesh Yadav: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहराइच के महाराजगंज में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने पीड़ितों को पीडब्ल्यूडी के नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी से यह भी जवाब मांगा है कि जिस सड़क पर मकानों और दुकानों पर नोटिस चिपकाया गया है, वह शहरी है, ग्रामीण है या हाईवे है।
वहीं, पीडब्ल्यूडी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है। इसमें बुलडोजर कार्रवाई रोकने के निर्देश देने की मांग की गई है। बहराइच हिंसा से जुड़े 3 आरोपियों और रिश्तेदारों ने याचिका दाखिल की है। इसमें मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद की बेटी भी शामिल है।
इधर, महाराजगंज में लोगों ने अपने ही मकान गिराने शुरू कर दिए हैं। लोगों को डर है कि अगर बुलडोजर चला तो घर में लगी ईंटें और लोहे की रॉड भी मलबे में चली जाएंगी।
कई लोगों ने दुकानें और घरेलू सामान खाली कर दिया। शुक्रवार रात 18 अक्टूबर को पीडब्ल्यूडी ने 23 मकानों पर अतिक्रमण का नोटिस चिपकाया था। इसमें अतिक्रमण हटाने के लिए 3 दिन का समय दिया गया था।
नहीं तो ध्वस्त कर दिया जाएगा
अयोध्या से सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने बुलडोजर कार्रवाई पर योगी सरकार को घेरा। कहा- कानून में फांसी की सजा है। लेकिन बुलडोजर की नहीं। योगी बाबा प्रदेश में अलग कानून चलाना चाहते हैं।
इधर, हिंसा में मारे गए राम गोपाल के घर के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पिता कैलाश ने न्याय न मिलने पर गुरुवार को आत्मदाह की चेतावनी दी थी। जिन मकानों पर नोटिस चिपकाया गया, उनमें 20 मुस्लिम और 3 हिंदू मकान शामिल हैं। एक मकान अब्दुल हमीद का है, जो राम गोपाल मिश्रा की हत्या में आरोपी है।
बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ लखनऊ हाईकोर्ट में याचिका दायर
बहराइच में चल रही बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने इस मामले में जिन 23 लोगों को नोटिस जारी किए थे, उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय दिया है। अब अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (यूपी ईस्ट के उपाध्यक्ष सैयद महफूजुर रहमान के जरिए) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इस मामले की त्वरित सुनवाई के लिए हाईकोर्ट की विशेष बेंच का गठन किया गया था। इसमें जस्टिस अताउर रहमान मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी शामिल हैं।
सुनवाई के दौरान जस्टिस मसूदी ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि यह सोसायटी क्या है? इस सोसायटी पर इसका क्या असर पड़ा? क्या इस सोसायटी ने प्रस्तावित कार्रवाई पर कोई शोध किया है? क्या वे इसके तथ्यों से वाकिफ हैं?
जस्टिस विद्यार्थी ने कहा कि पीड़ित खुद कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। हमने सुना है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है।
जस्टिस मसूदी ने आगे कहा कि ऐसी याचिकाओं का व्यापक असर हो सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वे सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिस में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर 2024 को ध्वस्तीकरण के संबंध में आदेश पारित किया था।
हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि यूपी सरकार इस आदेश का पालन करेगी। मामले में जिन लोगों को नोटिस जारी किए गए थे, उनमें से कुछ ने अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
कोर्ट ने राज्य के मुख्य स्थायी वकील (सीएससी) को यह स्पष्ट करने के लिए 3 दिन का समय दिया कि सड़क के किनारे कितने नक्शे स्वीकृत किए गए? साथ ही, जिन लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं, उन्हें अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कहा गया है।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि इलाके में मोबाइल नेटवर्क की समस्या है और पुलिस की मौजूदगी के कारण पीड़ितों को अपने घरों से भागना पड़ा ताकि वे किसी दुर्भावनापूर्ण अभियोजन का शिकार न हों। ऐसी स्थिति में उनसे कार्रवाई में भाग लेने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
इस पर जस्टिस मसूदी ने प्रभावित पक्षों को नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर 2024 को होगी।
कोर्ट के इस आदेश से जहां प्रभावित पक्षों को राहत मिली है, वहीं उन्हें दिए गए समय में अपना पक्ष रखने का मौका भी मिल गया है। मामले की सुनवाई बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जारी रहेगी।
मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद की बेटी समेत तीन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर की
बहराइच हिंसा के बाद बुलडोजर कार्रवाई से लोग डरे हुए हैं। प्रशासन ने 23 लोगों को नोटिस दिया है। इनमें 20 मुस्लिम और 3 हिंदू हैं। अतिक्रमण को लेकर तीन दिन में जवाब मांगा गया है। आज आखिरी दिन है।
इससे पहले बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें बुलडोजर कार्रवाई को तत्काल रोकने के निर्देश मांगे गए हैं।
पहले से चल रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- किसी का घर सिर्फ इसलिए नहीं तोड़ा जा सकता कि वह आरोपी है। हालांकि, यूपी सरकार ने कहा था कि किसी का घर सिर्फ इसलिए नहीं तोड़ा गया क्योंकि वह आरोपी है।
अर्जी 3 लोगों ने दाखिल की थी। इनमें से एक मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद की बेटी रुखसार है, दूसरी दिल्ली स्थित संस्था एसओसीएसएम फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स है, जो भारत स्तर पर काम करती है। यह जानकारी हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के वकील सैयद अकरम आजाद ने दी है।
इसमें कहा गया है कि 18 अक्टूबर को पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर ने नोटिस चिपकाया। इसमें ज्यादातर लोग फेरीवाले और किसान हैं। यह भी दावा किया गया कि जिन घरों पर नोटिस चिपकाया गया है, वे 10 से 70 साल पुराने हैं। यह भी कहा गया कि सिर्फ तीन दिन का समय दिया गया, ताकि कोई कानूनी कार्रवाई न की जा सके।