भाजपा पार्टी फिलहाल 70 के दशक की वेस्ट इंडीज या 1997-2007 की ऑस्ट्रेलिया की टीम की तरह अजेय है जो विपक्षियों को नस्तेनाबूत कर देती है। कांग्रेस पार्टी फिलहाल ऐसी टीम बनी हुई है जिसके खिलाड़ियों का मुख्य उद्देश्य होता है अपने जोड़ीदार को रन आउट करवाना। जिस क्रिकेट टीम के खिलाड़ी अपने जोड़ीदार को रन आउट करवाने हेतु खेल रहे हैं वो भला कैसे जीतेगी।
सन 2018 की लगती सर्दियों में कांग्रेस 3 राज्यों में चुनाव जीती,मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान।
मध्यप्रदेश की जीत के नायक थे कमलनाथ दिग्विजयसिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया।
सरकार बनते ही कमलनाथ और दिग्विजयसिंह का गठबंधन बन गया और इन दोनो का मुख्य उद्देश्य सरकार चलाना नहीं अपितु ज्योतिरादित्य में बत्ती देना हो गया। दिग्गी और कमलनाथ दिन रात षड्यंत्र करते रहते कि सिंधिया को कैसे निपटाया जाए। कमलनाथ ही प्रदेश अध्यक्ष थे और वही मुख्यमंत्री थे उन्होंने दोनो में से एक भी पद नही छोड़ा कि पद छोड़ते ही उसे सिंधिया लपक लेगा कमलनाथ और दिग्विजय ने फिर सोचा कि ये सिंधिया लोकसभा न जीत जाए इसलिए इन्होंने नया शिगूफा छोड़ दिया,कमलनाथ ने बयान दिया कि जिस नेता के पृष्ठभाग में दम है वो अपना लोकसभा क्षेत्र छोड़कर किसी दूसरे लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर दिखाए। कमलनाथ का साथ देते हुए दिग्गी बोले कि वो भी अपना राजगढ़ क्षेत्र छोड़कर भोपाल से लड़ेंगे। भोपाल में दिग्विजय पेले गए पर सिंधिया इनकी बातों में नही आए वो गुना से ही लड़े और वहीं से पेले गए। गौर तलब है कि गुना क्षेत्र में दिग्विजय सिंह का काफी प्रभाव है तो इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि दिग्विजय सिंह ने ही सिंधिया को निपटवाया हो।
फिर आया राज्यसभा चुनाव।
संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस के 2 आदमी राज्यसभा में जा सकते थे। कमलनाथ ने एक सीट दिग्विजय को अलॉट कर दी और सोचा कि दूसरी सीट से सिंधिया राज्यसभा न चला जाए इसलिए कमलनाथ और दिग्विजय मिलकर प्रियंका गांधी जी के पास पहुंचे और उनसे बोले कि दीदी आइए आप मध्यप्रदेश से राज्यसभा पहुंचिए हम आपको एक सीट देंगे। इस तरह के निरंतर अपमानो से सिंधिया का ईगो हर्ट हो गया और इसके बाद सब कुछ इतिहास है।
अच्छी खासी कांग्रेस सरकार की कब्र खोद दी दो बुजुर्गों ने।
आज छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल,सिंहदेव के आदमियों को विधानसभा हरवाने का प्रयास करते हैं और सिंहदेव भूपेश के आदमियों को। राजस्थान में गहलोत प्रयास करते हैं कि पायलेट के आदमी विधानसभा न जीत पाएं और पायलेट गहलोत के आदमियों में बत्ती दिलवा रहे हैं। कल राजस्थान का एक हारा हुआ कांग्रेसी प्रत्याशी रोते हुए बोला कि पायलेट ने बत्ती दिलवा दी। इतने षड्यंत्र और भीतरघात के बाद भी इन्हे पता है कि इन लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं होगी।
यही चलता आ रहा है यही चलेगा।
भाजपा में इतना अनुशासन है कि आज मोदी या अमित शाह एलान कर दें कि कैलाश विजयवर्गीय मध्यप्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे तो शिवराज सिंह भले ही अकेले में सिसक सिसक कर या बुक्का फाड़कर रो लेंगे पर सार्वजनिक रूप से न तो कोई बयान देंगे और न ही षड्यंत्र या घात करने का प्रयास करेंगे। इसी अनुशासन के कारण ही भाजपा अजेय बनी हुई है फिलहाल तक तो।