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क्या Maharajganj के खात्मे की थी तैयारी ? Bahraich Violence के उपद्रवी बोले- 2 घंटे पुलिसवाले हट गए थे, लोगों ने गद्दारी की, नहीं तो

Bahraich Violence Planned Who Is Responsible Hindu Muslim: बहराइच हिंसा में शामिल दंगाइयों का एक बड़े मीडिया संस्थान के गुप्त कैमरे पर ये कबूलनामा है। वो कह रहे हैं कि कल हम महाराजगंज में थे। दो एजेंसियां ​​जला दी गईं। गाड़ियां जला दी गईं। दुकानें जला दी गईं। कई महंगी गाड़ियां जला दी गईं। कई लोग साथ गए थे, जरूरी नहीं कि हम उन्हें जलाएंगे।

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जिसकी बारी आएगी, वो उन्हें जलाएगा। कुछ लोगों ने गद्दारी की, वरना पूरा महाराजगंज तबाह हो जाता। पुलिस ने 2 घंटे का समय दिया था। सभी पुलिसकर्मी चले भी गए थे।

बहराइच के महाराजगंज में हुई हिंसा में कौन-कौन शामिल थे? पुलिस इसे रोकने में क्यों विफल रही? क्या ये सब पहले से प्लान किया गया था? इसको लेकर एक बड़े मीडिया संस्थान ने 5 दिनों तक महाराजगंज और उसके आसपास के गांवों की पड़ताल की। ​​हमें वो 3 अहम किरदार मिले।

हमें महाराजगंज से 5 किलोमीटर दूर बेदवा गांव की सड़क पर दो युवक मिले। हम जानना चाहते थे कि क्या वो हिंसा में शामिल थे? पहले तो उन्होंने इनकार किया, लेकिन लंबी बातचीत के बाद उन्होंने दंगे के बारे में विस्तार से बताया।

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एक युवक ने कहा- हम कल (14 अक्टूबर को) महाराजगंज में थे। रिपोर्टर ने पूछा कि आप लोगों ने गाड़ियां जलाई थीं। इस पर युवक ने कहा- हां, हां, और क्या? गाड़ियां जलाई गईं। दुकानें जलाई गईं। कई महंगी गाड़ियां जलाई गईं।

कई लोग साथ गए थे, जरूरी नहीं कि हम ही गाड़ियां जलाएं, अगली बारी जिसकी आएगी, वो जलाएगा। दूसरे युवक ने कहा कि कुछ लोगों ने विश्वासघात किया, नहीं तो पूरा महाराजगंज तबाह हो जाता। पुलिसवालों ने 2 घंटे का समय दिया था। इस पर पहले युवक ने कहा कि तभी सभी पुलिसवाले चले गए थे।

दोनों युवक जिस दंगे की बात कर रहे हैं, वह 14 अक्टूबर को हुआ था। उस दिन राम गोपाल मिश्रा की शवयात्रा निकाली गई थी। इसमें आस-पास के गांवों के सैकड़ों लोग शामिल हुए थे।

इस दौरान महाराजगंज में एक समुदाय विशेष के घरों और दुकानों पर हमला किया गया था। यहां एक हीरो बाइक एजेंसी में आग लगा दी गई थी। इसमें 25 से 30 गाड़ियां जलकर राख हो गईं।

यह एजेंसी अरुण शुक्ला के नाम पर है, लेकिन इसमें सिराज ने पैसा लगाया है। भीड़ में शामिल लोगों को यह बात पता थी। इसके बगल में लखनऊ सेवा अस्पताल भी जला दिया गया। यह भी एक मुस्लिम का था।

विधायक की अनुमति के बिना पुलिस साधारण एफआईआर भी दर्ज नहीं करती

मुठभेड़ के बाद जब घायल सरफराज और तालीम को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया तो वहां भारी फोर्स तैनात थी। हमारी टीम हरदी थाने में तैनात एक पुलिस अधिकारी से मिली।

हम उनकी पहचान उजागर नहीं कर रहे हैं। पुलिस अधिकारी ने विधायक के बारे में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा, विधायक से पूछे बिना आसपास के 4 थानों में 151 (मामूली मामला) में भी एफआईआर दर्ज नहीं होती। विधायक की पूरे जिले में पकड़ है। डीएम-एसपी सिर्फ उनकी बात सुनते हैं।

पुलिस अधिकारी ने कहा- मुझे जानकारी मिली है कि राम गोपाल मिश्रा की अब्दुल हमीद के परिवार से पहले से रंजिश थी। गोली चलाने वाला अब्दुल का बेटा अपराधी है। अगर दोनों के बीच विवाद नहीं होता तो राम गोपाल सिर्फ अब्दुल के घर से झंडा नहीं उखाड़ता। वहां कई मुस्लिम घर हैं, जिन पर झंडे फहराए जाते हैं।

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