Chhattisgarh Coal Scam Accused ACB-EOW Undergo Narco Test: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले के सूर्यकांत तिवारी समेत 4 आरोपियों का नार्को टेस्ट हो सकता है। इसके लिए एसीबी-ईओडब्ल्यू ने विशेष कोर्ट में आवेदन भी दिया है। इस मामले में दूसरा पक्ष भी जवाब देगा, जिसके लिए 16 अक्टूबर की तिथि तय की गई है।
शराब घोटाला मामले में भी सुनवाई
शराब घोटाला मामले में भी सोमवार को सुनवाई हुई। न्यायिक रिमांड में रायपुर जेल में बंद रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा को एसीबी कोर्ट में पेश किया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने टुटेजा की न्यायिक रिमांड 28 अक्टूबर तक बढ़ा दी है।
अब जानिए क्या होता है नार्को टेस्ट, जिससे सामने आता है सच
आरोपी अक्सर खुद को बचाने के लिए झूठी कहानी गढ़ लेते हैं। वे पुलिस को गुमराह करते हैं। उनसे सच उगलवाने के लिए नार्को टेस्ट किया जाता है। नार्को टेस्ट में साइकोएक्टिव ड्रग्स दी जाती हैं। जिसे ट्रुथ ड्रग भी कहा जाता है। जैसे सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम एमाइटल।
सोडियम पेंटोथल एक एनेस्थेटिक ड्रग है जो कम समय में तेजी से काम करता है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर सर्जरी के दौरान बेहोश करने के लिए किया जाता है। जैसे ही यह केमिकल नसों में जाता है, व्यक्ति बेहोश हो जाता है।
बेहोशी से उठने के बाद भी आरोपी पूरी तरह होश में नहीं आता। दावा किया जाता है कि इस स्थिति में आरोपी जानबूझकर कोई कहानी नहीं गढ़ सकता, इसलिए वह सच बोल देता है।
नार्को टेस्ट में दी जाने वाली दवा बहुत खतरनाक होती है। जरा सी चूक से मौत हो सकती है या आरोपी कोमा में जा सकता है। यही वजह है कि नार्को टेस्ट से पहले आरोपी की मेडिकल जांच की जाती है।
इनका नार्को टेस्ट नहीं किया जाता अगर आरोपी को कोई बड़ी बीमारी जैसे मनोवैज्ञानिक, अंग संबंधी या कैंसर है तो उसका नार्को टेस्ट नहीं किया जाता।
नार्को टेस्ट अस्पताल में किया जाता है ताकि अगर कुछ गलत हो जाए तो आपातकालीन स्थिति में तुरंत इलाज दिया जा सके। नार्को टेस्ट के लिए दवाइयां व्यक्ति के स्वास्थ्य, उम्र और लिंग के हिसाब से दी जाती हैं।
इन आरोपियों के नार्को टेस्ट की मांग
- सूर्यकांत तिवारी (कोयला घोटाले के सरगना कहे जाते हैं)
- रजनीकांत तिवारी (सूर्यकांत के भाई)
- निखिल चंद्राकर (सूर्यकांत के साथ काम कर चुके हैं)
- रोशन सिंह














