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Haryana में हार से Rahul Gandhi नाराज: बोले-नेताओं का इंटरेस्ट पार्टी से ऊपर रहा, जानिए हार की वजह ढूंढने किसे मिली जिम्मेदारी ?

Haryana Assembly Election Congress Delhi Meeting Mallikarjun Kharge Rahul Gandhi: हरियाणा चुनाव में हार पर कांग्रेस की समीक्षा बैठक गुरुवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर हुई। इसमें राहुल गांधी ने कहा कि हरियाणा में नेताओं की रुचि ज्यादा थी, जिस कारण पार्टी की रुचि कम हुई।

बैठक में तय हुआ कि हार के कारणों को जानने के लिए एक तथ्यान्वेषी समिति बनाई जा रही है, जो हरियाणा जाकर नेताओं से चर्चा करेगी और रिपोर्ट हाईकमान को सौंपेगी। समिति में शामिल किए जाने वाले चेहरों के नामों पर अभी चर्चा नहीं हुई है।

करीब आधे घंटे तक चली बैठक के बाद कांग्रेस नेता अजय माकन ने हुड्डा-सैलजा के बीच मतभेद पर कहा कि हार के कई कारण हैं, जिसमें चुनाव आयोग से लेकर नेताओं के बीच मतभेद शामिल हैं। इन सभी कारणों पर चर्चा हुई और आगे भी चर्चा होगी।

इतना बड़ा उलटफेर कैसे हो सकता है, एग्जिट पोल क्या कह रहे थे, सबसे बड़े सर्वे क्या कह रहे थे, ये सब एक साथ गलत साबित हो जाते हैं। आधे घंटे की बैठक में इस मामले में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।

आज की बैठक में हमने आगे की रणनीति पर चर्चा की है। आगे जो भी होगा, उसके बारे में केसी वेणुगोपाल जानकारी देंगे। इस बैठक में हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को भी बुलाया गया था, लेकिन वे नहीं आए।

सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला को भी इस बैठक में नहीं बुलाया गया। लालू यादव के समधी और कांग्रेस नेता कैप्टन अजय यादव को भी बैठक में शामिल होने का कोई संदेश नहीं मिला।

यह बैठक ऐसे समय बुलाई गई है, जब शैलजा समर्थक हार के लिए सीधे तौर पर भूपेंद्र हुड्डा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। असंध से हारे पूर्व विधायक शमशेर गोगी ने कहा कि यह कांग्रेस की नहीं बल्कि हुड्डा कांग्रेस की हार है।

अंबाला कैंट से हारे परविंदर पारी ने कहा कि बी-डी गैंग यानी भूपेंद्र-दीपेंद्र हुड्डा गैंग ने कई सीटों पर बागी उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस प्रत्याशी को हराने का काम किया।

जानिए हरियाणा चुनाव में किसकी क्या जिम्मेदारी रही…

भूपेंद्र हुड्डा

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा आकर्षण का केंद्र रहे। पार्टी ने प्रचार के दौरान हुड्डा को मुख्य चेहरा बनाया था। चुनाव के दौरान कांग्रेस की सभी छोटी-बड़ी रैलियों में वे शामिल हुए।

जहां भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी रैलियां नहीं कर पाए, वहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रचार की कमान संभाली। शैलजा-सुरजेवाला के दावों और बयानों को दरकिनार कर कांग्रेस ने हुड्डा को खुली छूट दे दी।

उदयभान

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान के पास विधानसभा चुनाव का पूरा प्रबंधन था। दिल्ली और स्थानीय नेताओं के बीच समन्वय की जिम्मेदारी उन पर थी। दिल्ली के बड़े नेताओं के साथ स्थानीय नेताओं की रैलियों के प्रबंधन का काम भी उदयभान ने संभाला। उदयभान हुड्डा के काफी करीबी माने जाते हैं। चुनाव के दौरान उन्होंने नौकरियां बांटने को लेकर बयान भी दिया था। वे खुद होडल सीट से चुनाव हार गए।

दीपक बाबरिया

हरियाणा के प्रभारी होने के नाते दीपक बाबरिया ने चुनाव से पहले टिकट वितरण की पूरी जिम्मेदारी संभाली थी। स्थानीय नेताओं से मिले इनपुट के आधार पर बाबरिया ने स्क्रीनिंग कमेटी को अपनी रिपोर्ट भेजी थी। जब सभी टिकट फाइनल हो गए तो उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई, जिसके बाद उन्हें करीब एक हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।

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