Haryana Election 2024 Vip Seat Voting Update: हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर कल (5 अक्टूबर) 66.96% वोटिंग हुई। चुनाव आयोग के ये आंकड़े रात 12 बजे तक के हैं। नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे।
इस चुनाव में 10 ऐसी सीटें हैं, जिन पर सबकी निगाहें टिकी हैं। इन वीआईपी सीटों में दुष्यंत चौटाला की उचाना सीट पर सबसे ज्यादा 75.44% वोटिंग हुई।
इसके अलावा श्रुति चौधरी, भव्य बिश्नोई, आरती राव और सीएम नायब सैनी की सीटें ही ऐसी हैं, जहां 70% से ज्यादा वोटिंग हुई। पिछले 2 चुनावों के वोटिंग प्रतिशत पर नजर डालें तो लाडवा में नायब सैनी सुरक्षित नजर आ रहे हैं।
भूपेंद्र हुड्डा भी जीत सकते हैं, लेकिन अंतर कम हो सकता है। आरती राव भी अपने राजनीतिक पदार्पण में अच्छी स्थिति में नजर आ रही हैं। हालांकि, अनिल विज, दुष्यंत चौटाला, विनेश फोगाट के लिए टेंशन दिख रही है।
भव्य बिश्नोई और श्रुति चौधरी अपनी राह तभी आसान कर सकती हैं, जब उन्हें पारिवारिक विरासत का साथ मिले। गोपाल कांडा और देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल भी मुश्किल में फंसती नजर आ रही हैं।
लाडवा: सीएम नायब सैनी के पक्ष में वोटिंग प्रतिशत का रुझान
भाजपा सरकार में सीएम नायब सैनी करनाल की जगह कुरुक्षेत्र की लाडवा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। रात 12 बजे तक इस सीट पर 72 प्रतिशत वोटिंग हुई। 2019 में यहां 75.4 प्रतिशत वोटिंग हुई। सीएम सैनी की सीट पर वोटिंग 3.4 प्रतिशत कम हुई है। 2014 की बात करें तो इस सीट पर 83.1 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।
पिछले 2 चुनावों का रुझान देखें तो जब भी यहां वोटिंग कम हुई है, नई पार्टी का उम्मीदवार चुनाव जीता है। इस लिहाज से सीएम सैनी के जीतने के अच्छे आसार हैं, क्योंकि 2019 में कांग्रेस के मेवा सिंह यहां विधायक थे।
गढ़ी सांपला किलोई: हुड्डा की जीत संभव, लेकिन अंतर कम होगा
पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ सांपला किलोई में रात 12 बजे तक 67.02% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 73.3% वोटिंग हुई थी और 2014 में यहां 74.8% वोटिंग हुई थी। हालांकि, दोनों बार भूपेंद्र हुड्डा ने जीत दर्ज की। 2019 में हुड्डा की जीत का अंतर 58312 और 2014 में 47,185 था।
यह सीट हुड्डा का गढ़ है। पिछले 2 चुनावों के मुकाबले इस बार कम वोटिंग हुई है। ऐसे में हुड्डा की जीत पक्की मानी जा रही है, लेकिन उनकी जीत का अंतर कम हो सकता है।
जुलाना: विनेश के लिए कम वोटिंग प्रतिशत टेंशन
विनेश फोगाट की जुलाना सीट पर इस बार रात 12 बजे तक 69.8% वोटिंग हुई। 2019 में जुलाना में 73% और 2014 में 78.1% वोटिंग हुई थी। दोनों बार जब यहां वोटिंग बढ़ी तो जीतने वाली पार्टी बदल गई। 2014 में इनेलो के परमिंदर ढुल जीते और 2019 में जेजेपी के अमरजीत ढांडा जीते।
अगर वोटिंग बढ़ी होती तो यह नई पार्टी और खासकर विनेश के लिए अच्छा संकेत हो सकता था, लेकिन सहानुभूति लहर के दावे के बावजूद वोटिंग प्रतिशत में कमी विनेश के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। वैसे भी कांग्रेस इस सीट पर करीब 15 साल के सूखे का सामना कर रही है। पिछली बार 2005 में कांग्रेस के शेर सिंह जीते थे।
उचाना कलां: वोटिंग प्रतिशत में कमी से दुष्यंत की राह आसान नहीं
दुष्यंत चौटाला की उचाना कलां सीट पर रात 12 बजे तक 75.44% वोटिंग हुई है। 2019 में यहां 76.9% और 2014 में 85.4% वोटिंग हुई थी। वोटिंग में बढ़ोतरी के बाद 2014 में जीतने वाली भाजपा की प्रेमलता की जगह 2019 में दुष्यंत चौटाला ने जीत दर्ज की।
हालांकि, इस बार वोटिंग प्रतिशत पिछले दो चुनावों से कम है। ऐसे में यहां पासा किसी भी तरफ जा सकता है। ऐसे में दुष्यंत चौटाला के लिए यहां जीत आसान नहीं दिख रही है।
हिसार: सावित्री जिंदल की राह मुश्किल
देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल की हिसार सीट पर रात 12 बजे तक 61.44% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 59.9% और 2014 में 70.1% वोटिंग हुई थी। दोनों बार भाजपा के डॉ. कमल गुप्ता जीते।
कमल गुप्ता इस बार भी भाजपा के उम्मीदवार हैं। पिछले 2 चुनावों में कम और ज्यादा वोटिंग दोनों ही उनके लिए फायदेमंद रही। ऐसे में सावित्री जिंदल की राह मुश्किल नजर आ रही है।
अटेली: आरती राव के पक्ष में वोटिंग प्रतिशत और नया चेहरा
केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव की अटेली सीट पर 70.58% वोटिंग हुई। 2019 में इस सीट पर 67.8% और 2014 में 77.7% वोटिंग हुई थी। दोनों बार भाजपा जीती लेकिन प्रत्याशी अलग-अलग थे।
इस बार भी वोटिंग प्रतिशत दोनों चुनावों के बीच है लेकिन आरती नई प्रत्याशी हैं। ऐसे में उनके राजनीतिक पदार्पण में इस सीट पर उनकी जीत की उम्मीद है।
अंबाला कैंट: विज के लिए वोटिंग प्रतिशत चिंता का विषय, जीते तो भी अंतर मामूली रहेगा
प्रदेश के दिग्गज पंजाबी नेता अनिल विज की अंबाला कैंट सीट पर रात 12 बजे तक 64.45% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 62.7% और 2014 में 72.8% वोटिंग हुई थी। दोनों बार अनिल विज यहां से चुनाव जीते थे। 2014 में उनकी जीत का अंतर 15,462 और 2019 में 20,165 रहा था। इन आंकड़ों को देखते हुए विज कड़ी टक्कर में फंसते नजर आ रहे हैं। अगर वे जीतते हैं तो अंतर कम हो सकता है।
तोशाम: बंसीलाल की विरासत के साथ श्रुति के पक्ष में मतदान प्रतिशत
पूर्व सीएम बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी की तोशाम सीट पर रात 12 बजे तक 72% मतदान हुआ। 2019 में यहां 70.8% मतदान हुआ था और 2014 में 82.3% मतदान हुआ था। हालांकि, दोनों बार कांग्रेस की किरण चौधरी चुनाव जीतीं। किरण श्रुति की मां हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था।
मतदान प्रतिशत फिलहाल उनके पक्ष में है, लेकिन कांग्रेस ने यहां से बंसीलाल परिवार से अनिरुद्ध चौधरी को टिकट दिया है। ऐसे में कम मतदान के कारण एक तरफ लहर की बजाय बंसीलाल की विरासत से लाभ उठाने वाला ही जीत सकता है। इस रेस में श्रुति चौधरी आगे नजर आ रही हैं।
सिरसा: कांडा के पक्ष में कम वोटिंग, लेकिन सेतिया के कारण तनाव
हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) सुप्रीमो गोपाल कांडा की सिरसा सीट पर रात 12 बजे तक 64% वोटिंग हुई। 2019 में यहां 69.5% वोटिंग हुई थी और 2014 में 77.8% वोटिंग हुई थी। इस बार वोटिंग पिछले 2 चुनावों से कम है। 2014 में जब ज्यादा वोटिंग हुई थी, तो कांग्रेस के मक्खनलाल को फायदा हुआ था। 2019 में कम वोटिंग कांडा के पक्ष में गई।
हालांकि, इस बार यह भी महत्वपूर्ण है कि कांडा ने पिछली बार जिस सेतिया को महज 602 वोटों से हराया था, वही इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। ऐसे में कांडा को मिलने वाला वोटिंग प्रतिशत तनाव बढ़ाने वाला है।
आदमपुर: बिश्नोई परिवार को बड़ी पार्टी के उम्मीदवार के लिए कम वोटिंग
पूर्व सीएम भजनलाल परिवार की विरासत वाली आदमपुर सीट से भव्य बिश्नोई चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार रात 12 बजे तक यहां 72.9% वोटिंग हुई है। 2019 में यहां 76.5% वोटिंग हुई थी और 2014 में 78.4% वोटिंग हुई थी।
हालांकि भव्य के पिता कुलदीप बिश्नोई दोनों बार जीते थे, लेकिन 2014 में उन्होंने हजकां से और 2019 में कांग्रेस से चुनाव जीता था। इस बार उनके बेटे भव्य को भाजपा ने टिकट दिया है। ऐसे में कम वोटिंग प्रतिशत उनकी चिंता बढ़ा सकता है, क्योंकि 2014 में जब कुलदीप ने अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा था, तब लोगों ने खूब वोट किया था।
2019 में जब उन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़ा था, तब वोटिंग प्रतिशत कम हो गया था। इस बार भी वोटिंग प्रतिशत और कम हुआ है, इसलिए भजनलाल परिवार इससे चिंतित हो सकता है। हालांकि अपने गढ़ के कारण वे थोड़े आश्वस्त जरूर हो सकते हैं।