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हरियाणा विधानसभा 52 दिन पहले भंग: अब CM सैनी सिर्फ कार्यवाहक मुख्यमंत्री, जानिए क्यों करना पड़ा भंग ?

Haryana CM Nayab Singh Saini Assembly Dissolution Update Election 2024: हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया है। राज्य की भाजपा सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी।

विधानसभा भंग करने की अधिसूचना में राज्यपाल ने लिखा- ‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 के खंड (2) की उपधारा (बी) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मैं, बंडारू दत्तात्रेय, राज्यपाल, हरियाणा, हरियाणा विधानसभा को तत्काल प्रभाव से भंग करता हूं।’

सीएम नायब सिंह सैनी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने बुधवार को ही विधानसभा भंग करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। राज्यपाल के मुताबिक, अगली सरकार बनने तक नायब सैनी कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।

दरअसल, सैनी सरकार ने 6 महीने की अवधि में विधानसभा सत्र न बुला पाने के संवैधानिक संकट से बचने के लिए यह कदम उठाया। हरियाणा की 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक था। यानी कार्यकाल पूरा होने में अभी 52 दिन बाकी थे।

संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार विधानसभा के 2 सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतराल नहीं हो सकता है। राज्य विधानसभा का पिछला सत्र 12 सितंबर को 6 महीने पूरा हुआ था। चूंकि राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, इसलिए सत्र बुलाना संभव नहीं था।

देश में इस तरह के संवैधानिक संकट के बाद विधानसभा भंग करने का यह पहला मामला है। 1947 में देश के स्वतंत्र होने के बाद किसी भी राज्य में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई।

कोरोना काल में भी हरियाणा में इसी तरह के संकट को टालने के लिए एक दिवसीय सत्र बुलाया गया था। इससे पहले भी हरियाणा विधानसभा को समय से पहले 3 बार भंग किया गया था, लेकिन उन तीनों ही मामलों में ऐसा समय से पहले चुनाव कराने के लिए किया गया था।

विधानसभा को क्यों भंग करना पड़ा?

संविधान विशेषज्ञ और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के तहत किसी भी राज्य की विधानसभा के 2 सत्रों के बीच 6 महीने से अधिक का अंतराल नहीं हो सकता है।

हरियाणा में 13 मार्च 2024 को विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था। उसमें सीएम नायब सैनी ने बहुमत साबित किया था। इसके बाद 6 महीने के अंदर यानी 12 सितंबर तक दूसरा सत्र बुलाना अनिवार्य था। सैनी सरकार ऐसा नहीं कर पाई।

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